मैं
मैं, कौन हूँ मैं,
जब जन्मा था गुमनाम था,
आज फिर यारों के बीच गुमनाम हूँ मैं,
कभी हँसी बाँटता फनकार था,
आज गम का सौदागर, बेज़ार हूँ मैं,
इक भूल की इतनी गम्भीर सज़ा,
क्या इतना बड़ा गुनहगार हूँ मैं,
तूने अच्छाई का मेरी मज़ाक बना डाला,
क्या बस तेरी हँसी का पात्र हूँ मैं,
क्या बस तेरा दिल बहलाता किरदार था,
क्या बस दिल बहलाने का औज़ार हूँ मैं,
दिल में किसी की जगह ना पाई,
क्या बस ठोकरों का हकदार हूँ मैं,
सब छोड़ के मुझको भागें हैं यूँ,
जैसे मंदा हो चुका व्यापार हूँ मैं,
आज चोट खाया घायल है ये शेर,
मुस्कान का उसकी शिकार हूँ मैं,
कभी दिल-ऐ-नाचीज़ टटोल कर तो देखो,
अकेला अपने आप में एक संसार हूँ मैं,
कभी मुशकिलें अपनी बता कर तो देखो,
तजुरबों का बड़ा भंडार हूँ मैं,
अगर कभी दर्द मे हो तो आज़मा कर देखना,
सुकून देती एक झंकार हूँ मैं,
कभी ज़रूरत हो तो याद कर लेना,
साथ खड़ा मिलूंगा, वफादार हूँ मैं,
पर अभी उम्मीद छोड़ी नही है,
कोई आज नही तो कल समझेगा,
की पतझड़ में भी बहार हूँ मैं,
दूर हो कर भी पास हूँ कितना,
आखिर यारों का यार हूँ मैं,
अब साथ मेरा कोई दे ना दे,
अकेला भी बड़ा असरदार हूँ मैं,
खेल चुके सब दांव अपना,
अब बाज़ी पलटने को बेकरार हूँ मैं,
गुमनामी में जन्मा, गुमनामी में जिया,
पर अपना नाम कर जाऊँगा वो किरदार हूँ मैं |
By
Naman Tandon
6-C, BBA LLB